स्वप्न लेकर चल दिये है हो सके तो रोक लो,,,,,,,
स्वप्न लेकर चल दिये है,हो सके तो रोक लो,,,हम जियेंगे अपनी धुन में हो सके तो रोक लो,,,,स्वप्न लेकर चल दिये है हो सके तो रोक लो,,,,,,,,,
ये वही है लोग जो हम पे कभी हस रहे थे,,,,हम तो अपनी धुन में थे इतिहास हम रच रहे थे,,,,एक उपग्रह को लिए हम जग निवेदन कर रहे थे,,,,,आज देखो भारतीय सूत जग निवेदन सुन रहे थे,,,,स्वप्न लेकर चल दिये है,हो सके तो रोक लो,,,,
शिक्षा हमने दी है जग को ये तो जग विख्यात है,,,,धरती तो धरती रही अब आसमा भी पास है,,,,,तीस मिनट से कमहि में विश्व को पिछड़ा दिया है,,,ये सदी है बस हमारी विश्व को दिखला दिया है,,,,,,स्वप्न लेकर चल दिये है,हो सके तो रोक लो,,,,,,
अब उड़ाने जो भारी तो फिर नया इतिहास होगा,,,चाँद और मंगल को छोड़ो कदमो में आकाश होगा,,,इतना पाने पर भी रह जायेगी कोई एक कमी,,,,,,होगा अपने पास सब कुछ पर नही कलाम होगा,,,,,स्वप्न लेकर चल दिये है,हो सके तो रोक लो,,,,,,
है यही इच्छा हमारी की उड़ाने फिर भरो,,,चाँद मंगल हो चुका है,ब्रह्मांड को अपना करो,,,,है अटल आकांक्षा की काम आती विशाल करो,,,,हो माँ पुलकित भारतीय सब लाल ऐसा काम करो,,,स्वप्न लेकर चल दिये है हो सके तो रोक लो,हम जियेंगे अपनी धुन पे हो सके तो रोक लो,,,,,स्वप्न लेकर चल दिये है ,,,,,,
विशाल शुक्ला (वीर)